मेरे चारो और ख़ुशी है माहौल खुशनुमा है
फिर भी न जाने क्यों मेरा दिल गमजदा है ...
छलकी हुई हैं आँखे होठो पर मुस्कुराहट
जाने क्या हुआ है मुझमे कुछ टूट सा रहा है ...
होती नही है महसूस मुझे खुशियां आजकल
हर तरफ गम का साया आँखों को दिख रहा है ...
इस भीड़ में अकेले सीखा है चलना हमने
जिस भीड़ के संग हर शख्स चल रहा है ....
ख्वाहिश नही रही अब जीने और मरने की
पल-पल में मरने वाला हर पल में जी रहा है ...
लोगो का दर्द मुझको खुश होने नही देता
मेरा भी कोई जख्म उनके संग रो रहा है ...!!!
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