August 30, 2015

शीशे के अंदर तस्वीर है .....


                   हैरान होने की जरूरत क्या है 
                 परेशान होने की जरूरत क्या है
                 हक़ीक़त तो असली यही है जमाने की
                 तुमने नही जाना इसमें तुम्हारी खता है...

खुद को इनता तनहा पाना
क्यों सोचते हो कि एक सजा है
यही लिखा है किस्मत में शायद
यही खुदा की शायद रज़ा है ......
                                       शीशे के अंदर तस्वीर है या
                                       तस्वीर के बाहर शीशा है
                                       कुछ भी कहो या समझो कुछ भी
                                       दोनों का मतलब बस एक सा है.......

पानी की बूंदे या बूंदो में पानी
हर मोड़ पर लिखी है एक कहानी
मंज़िल कहाँ है नही कुछ खबर है
कदमो के नीचे भी है राह अनजानी...!!!

August 28, 2015

टूट जाने दे आज फिर कुछ मेरे अंदर .......



टूट जाने दे आज फिर 
कुछ मेरे अंदर 
कुछ टूटेगा 
तभी तो कुछ 
जुड़ पायेगा 
   सफ़ेद कोरे पन्नो पर .....
वरना जिस तरह 
भर गया है एक खालीपन 
अंदर मेरे 
उसी तरह 
ये पन्ने भी 
खाली ही न रह जाये कहीं 
टूट जाने दे आज फिर 
कुछ मेरे अंदर  …!!